ध्वनि का सिद्धांत और बेल जार सिद्धांत की पूरी जानकारी

            



सिद्धांत:
ध्वनि क्या है?
ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है और इसके संचरण के लिए किसी माध्यम_ जैसे - वायु, जल, स्टील आदि की आवश्यकता होती है।किसी ध्वनि तरंग के निम्नलिखित अभिलक्षण होते हैं: आवृत्ति, आयाम और वेग| ध्वनि तरंग एक अनुदैर्घ्य तरंग हैं , यानी , माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है| ध्वनि तरंग अनुदैर्घ्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। 


ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
ध्वनि तरंग का संचरण एक अनुदैर्घ्य तरंग के रूप में होता हैं और इसके लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। ध्वनि हमेशा कंपन करती हुई वस्तुओं से निकलती है। यह कंपन स्वरित्र  द्विभुज, ढोल, घंटी, एक गिटार के तार आदि के द्वारा उत्पादित होते हैं| मनुष्यों में वाकध्वनि उनके वाक-तंतुओं के कंपित होने के कारण उत्पन्न होती है और संगीत वाद्ययंत्र से ध्वनि हवा स्तंभों के कंपन की वजह से है। कुछ मामलों में, स्रोत का कंपमान आवृत्ति बहुत कम या तो बहुत ज्यादा हो सकता है की यह मानव कर्ण  के लिए श्रव्य नहीं है। मानवों में ध्वनि  की श्रव्यता की आवृत्तियों का औसत परास 20 Hz  से 20 KHz है। 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं और 20 KHz से अधिक आवृत्ति की ध्वनियों को पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं। बेल जार प्रयोग एक सामान्य प्रयोग हैं जिसके  उपयोग से प्रदर्शित करते हैं कि ध्वनि के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता हैं|


क्या है एक बेल जार ?
बेल जार एक प्रयोगशाला उपकरण है जिसका उपयोग निर्वात के उत्पन्न के लिए होता हैं| इसको ऐसा नामित किया गया है क्योंकि इसका आकार एक घंटी के समान है| बेल जार एक ऐसे  तल पर स्थापित हैं जहाँ से बाहर की तरफ एक नली निकलती हैं और उसे एक निर्वात पंप से जोड़ा गया हैं|  बेलजार की वायु धीरे-धीरे बाहर निकालकर जार के अंदर का वायुदाब परिवर्तित किया जा सकता हैं|  


प्रयोग कैसे काम करता है?
इस प्रयोग में एक विद्युत घंटी को बेल जार के अंदर स्थापित किया जाता हैं| जब बेलजार की वायु धीरे-धीरे बाहर निकलती है, घंटी की ध्वनि धीमी हो जाती है| एक विशेष निर्वात में, घंटी से कोई ध्वनि नहीं सुनाई देती , लेकिन हम देख सकते हैं कि हथौड़ा का घंटी पर मारना जारी है  और ध्वनि का उत्पादन हो रहा है| यद्यपि , जार के अंदर के निर्वात के कारण ध्वनि हमारे कानों के लिए अश्राव्य हैं| यह प्रदर्शित करता हैं की ध्वनि तरंग का  संचरण  निर्वात में नहीं हो सकता| अर्थात्, ध्वनि तरंग के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता हैं|


अध्ययन का परिणाम
यह अनुमान किया जा सकता हैं कि ध्वनि तरंग को अपने  संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता हैं|
ध्वनि का सिद्धांत और बेल जार सिद्धांत की पूरी जानकारी ध्वनि का सिद्धांत और बेल जार सिद्धांत की पूरी जानकारी Reviewed by Manish saini on 7:11 pm Rating: 5

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